आजकल दूरदर्शन के न्यूज़ चैनल बॉलीवुड के लिए एक विज्ञापन चैनल बन कर रह गए हैं। इच्छा होती है कि ख़बरें सुनें पर जब भी किसी भारतीय न्यूज़ चैनल पर जाते हैं तो बस, या तो दूरदर्शन पर आने वाले नाटकों के बारे में या उनमे भाग लेने वाले पात्रों और उनकी असल ज़िन्दगी के विषय में घंटों बताया जाता है। वह भी इस हद तक की देखते देखते आदमी बोर हो जाए। पता नहीं क्या सोचते हैं इन ख़बरों का खाका तैयार करने वाले? क्या पूरी दुनिया यही सब देखना और सुनना पसंद करती है ?
और जब कभी केवल न्यूज़ देने का सिलसिला शुरू होता है तो weh aise कि एक ही खबर पूरे दिन आती रहती है, वही शब्द बार-बार दोहराए जातें हैं। जब टी.वी. आन करो वही खबर! फिर ऊपर से तुर्रा यह कि यही चैनल वह खबर पहली बार दर्शकों को दिखा रहा है। यानि न्यूज़ बाद में अपना विज्ञापन पहले! न्यूज़ की पूरी गंभीरता पर पानी फिर जाता है, यह दूरदर्शन वालों को कौन बताये?
क्या दूरदर्शन इन दो बातों का खयाल रखेगा? उस पर काम करने वाले सभी लोग काफी ज्ञानी हैं। कुछ वर्षों पहले न्यूज़ चैनल केवल ख़बरों तक ही सीमित थे। फिर वे इस ट्रेंड के पीछे क्यों पड़े हैं वही जानें।
आमीन!
Monday, April 12, 2010
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